हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां एवं नव निधियों के नाम।

हनुमान जी के बारे में हम सब जानते है। हनुमान जी अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों से पूर्ण है। आपको पता ही होगा की वह भगवान श्री राम के भक्त थे और भगवान शिंव के अंश भी थे।

आपको शायद पता होगा की हनुमान जी के कुल 108 नाम में जिसमे से हनुमान जी के 12 नामो का जाप करने से बहुत फ़ायदे होते है।

यह आठ सिद्धिया और नव निधिया बहुत ख़ास है क्योकि, इन सिद्धियो की मदद से हनुमान जी असंभव दिखने वाला कार्य भी बहुत आसानी से कर सकते है।

माता सीता द्वारा प्राप्त हनुमान जी की यह अष्ट सिद्धियां एवं नव निधियां कौनसी है चलिये जानते है।

Hanuman ji

हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां (Ashta Siddhi)

क्रमशःअष्ट सिद्धियां
1अणिमा सिद्धि
2महिमा सिद्धि
3गरिमा सिद्धि
4लघिमा सिद्धि
5प्राप्ति सिद्धि
6प्राकाम्य सिद्धि
7ईशित्व सिद्धि
8वशित्व सिद्धि
हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों कि सूची

1.अणिमा सिद्धि

अणिमा सिद्धि बहुत अलौकिक और दिव्य सिद्धि है, जिसमे हनुमान जी कभी भी और कहीं भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं। वह इतने सूक्ष्म बन सकते है की कोई देख भी नहीं सकता। इस सिद्धि का प्रयोग जब हनुमान जी माँ सीता का पता लगाने लंका गये थे तब किया था। वह सूक्ष्म रूप धारण करके पूरी लंका में घूमे थे किसको पता तक नहीं चला था।

2.महिमा सिद्धि

अगर देखा जाये तो महिमा सिद्धि अणिमा सिद्धि से बिलकुल विपरीत है, क्योकि अणिमा सिद्धि में हनुमान जी अणु जीतने सूक्ष्म हो सकते है। परंतु महिमा सिद्धि में हनुमान जी विशाल रूप धारण कर सकते है।

इसके विवरण आप शास्त्रों और ग्रंथों में पढ़ सकते है। हनुमान जी ने महिमा सिद्धि का प्रयोग करके कही बार विराट रूप धारण किया है।

3.गरिमा सिद्धि

हनुमानजी की यह सिद्धि बड़ी रोचक है। इस सिद्धि की सहायता से हनुमान जी अपने आप को एक विशाल पर्वत के समान भारी बनाने में सक्षम हैं।

आपको पता ही होगा की पांडु पुत्र भीम बहुत बलवान थे और इसी बात का उनको घमंड आ गया था। गरिमा सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ने के लिये किया था। हनुमान जी ने अपनी पूँछ इतनी भारी कर दी थी की भीम उसे उठा तो क्या हिला भी नहीं सके थे।

4.लघिमा सिद्धि

गरिमा सिद्धि से बिलकुल विपरीत है, इस आध्यात्मिक शक्ति से हनुमानजी अपने आप को पूरी तरह से हल्का कर सकते हैं और पल भर में कहीं भी घूम सकते हैं।

एसा हनुमान जी ने कही बार किया है। जब हनुमान लंका गये माँ सीता से मिलने तब इस सिद्धि का प्रयोग किया था। अशोक वाटिका में पहुँचने के बाद हनुमान अशोक वृक्ष के पत्तों पर बैठे गये और माता सीता को अपना परिचय दिया था।

5.प्राप्ति सिद्धि

इस सिद्धि की सहायता से हनुमानजी को कोई भी वस्तु तुरंत प्राप्त हो जाती थी। हनुमानजी जानवरों और पक्षियों की भाषा को समझने में सक्षम थे और उनसे वार्तालाभ भी कर सकते थे। और आने वाले समय को भी वह भाप लेते थे।

रामायण के अनुसार जब हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते गये थे तब उन्हो ने कई पशु-पक्षियों से वार्तालाभ किया था। उसकी वजह से माता सीता को खोजने में सफल हुए थे।

6.प्राकाम्य सिद्धि

यह सिद्धि बहुत दिव्य है क्योकि इसकी मदद से हनुमान जी आकाश में उड़ सकते थे, पृथ्वी की गहराई में जा सकते थे, पानी में जीवित रह सकते थे।

सिर्फ़ इतना ही नहीं, इस सिद्धि से हनुमानजी युगों तक युवान ही रह सकते थे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी रूप को धारण कर सकते है।

7.ईशित्व सिद्धि

अगर सरल भाषा में कहे तो ईशित्व का अर्थ होता है दैवीय शक्तिओ वाला। ईशित्व सिद्धि को प्राप्त करने वाला धारक भगवान(देव) के समान हो जाता है।

इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का योग्य नेतृत्व किया था। अपनी ईशित्व सिद्धि के कारण, सभी वानरो पर उनका सबसे अच्छा नियंत्रण था। इसके अतिरिक्त, ईशित्व सिद्धि के साथ, हनुमानजी मृत प्राणी को भी जीवित करनए की क्षमता रखते थे।

8.वशित्व सिद्धि

वशित्व सिद्धि का अर्थ होता है किसी को भी वश में करना। वशित्व सिद्धि की सहायता से हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर सकते है और उनकी इच्छा के अनुसार कार्य भी करवा सकते है।

इस सिद्धि के करण से हनुमानजी को “अतुलित बल धाम” कहा जाता है। इतना ही नहीं वो अपनी इंद्रियों पर क़ाबू भी रख सकते है।

हनुमान जी की नौ निधियां (Nav Nidhi)

क्रमशःनव निधियां
1पद्म निधि
2महापद्म निधि
3नील निधि
4मुकुंद निधि
5नन्द निधि
6मकर निधि
7कच्छप निधि
8शंख निधि 
9खर्व निधि
हनुमान जी की नौ निधियों की सूची

1.पद्म निधि

पद्म निधि से युक्त व्यक्ति सात्विक होता है। कहा जाता है की सात्विक तरीके से कमाई गई धन-संपदा कई पीढ़ियों तक कम नहीं होती। पद्म निधि से युक्त व्यक्ति सोने-चांदी और दिव्य रत्नों से संपन्न होते हैं और उदारता से दान भी करते हैं।

2.महापद्म निधि

ऐसा कहा जाता है की, महाप निधि से युक्त व्यक्ति अपने संग्रहित धन संपति का दान धार्मिक कार्यों में करता है। इस निधि के प्रभाव से व्यक्ति उदार और दानी स्वभाव वाला होता है।

3.नील निधि

एसी मान्यता है की, निल निधि से युक्त व्यक्ति सात्विक होता है। उसकी संपति तीन पीढीतक कम नहीं होती।

4.मुकुंद निधि

मान्यता अनुसार मुकुन्द निधि से युक्त मनुष्य रजोगुण (राजसी ठाठ-बाठ) से संपन्न होता है, इसके उपरांत वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।

5.नन्द निधि

नन्द निधि से युक्त व्यक्ति रजस( जुनून, गतिविधि, गति ) और तमस (अज्ञानता, जड़ता, आलस्य) गुणोंवाला होता है, वही कुल का आधार होता है ।

6.मकर निधि

यह निधि बहुत विशेष है क्योकी, मकर निधि से युक्त व्यक्ति अस्त्रों और सस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है । यह गुण वाला व्यक्ति हमेशा युद्ध के लिए सज़(तैयार) रहता है।

7.कच्छप निधि

कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति सदैव अपनी संपति को गुप्त रखता है, किसी और को उसका उपयोग भी नहीं करने देता है। अपनी सपंती का स्वयं उपभोग करता है। सर्प(साप) की भाती उसकी रक्षा करता है।

8.शंख निधि

यह अद्भुत निधि का प्रभाव एक पेढ़ी तक रहता है। मान्यता के अनुसार व्यक्ति कमाता तो बहुत है पर परिवार को नहीं देता उसके कारण परिवार सदैव ग़रीब रहता है।

9.खर्व निधि

खर्व निधि बहोत विपरीत दिखाई देती है, इस निधि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति मिश्रित स्वभाव का कहा गया है। मान्यता के अनुसार इस निधि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति विकलांग और घमंडी होता हैं, यह समय आने पर दूसरों का धन और सुख भी छीन सकता है, क्योकि उसके स्वभाव का अंदाज़ा लगाना मुस्किल है।

हनुमान की 8 सिद्धियां कौन सी हैं?

हनुमान की 8 सिद्धियों में अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा तथा प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व सिद्धियों का समावेश होता है।

हनुमान जी की नौ निधियां कौन सी है?

हनुमान जी की नौ निधियों में पद्म निधि, महापद्म निधि, नील निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि, मकर निधि, कच्छप निधि, शंख निधि और खर्व निधि का समावेश होता है।

हनुमाज़ी को यह सिद्धियां कहा से प्राप्त हुई?

श्रीराम भक्त हनुमान को आठ सिद्धियों और नौ निधियों मां सीता के वरदान से प्राप्त हुई थी॥

समीक्षा

एस लेख में हमने हनुमानजी की अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के बारे बात की है जो इस प्रकार है: अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा तथा प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व ये सिद्धियां “अष्टसिद्धि” कहलाती हैं।

हमने इन अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के बारे में विस्तार से चर्चा की है, परंतु अभी भी आपके मनमे कोई सवाल है तो पूछ सकते है। यह लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले धन्यवाद।

Jigar Prajapati
Jigar Prajapati

मेरा नाम जिगर प्रजापति है और मुझे लिखने में बहुत बहुत शौक है। मैं एक ब्लॉगर हूं जो आपकी समस्या सुलझाने में सहायता करता हूं।

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