Train का आविष्कार किसने किया और कब हुआ था?

आपने भी कभी ना कभी ट्रेन(Train) में सफर किया होगा और यह सफर आपको पता है कि रेल में मैं बहुत कम लागत आती है और आरामदायक भी होता है। परंतु आप आपके मन में भी कभी ना कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि रेल की शुरुआत कब हुई? Train Ka Avishkar Kisne Kiya। तो इन सारे सवालों का जवाब देने की हम पूरी कोशिश करेंगे।

रेलवे(Railway) आज के समय में बहुत उपयोगी बन गया है क्योंकि भारत में दिन भर में करोड़ों लोग रेलवे से सफर करते हैं। और अपने अपने ऑफिस या घरों में या पर्यटन क्षेत्रों में रेल के जरिए पहुंचते हैं। इसके उपरांत रेलवे माल का आयात प्रदान करने के लिए भी बहुत उपयोग में लिया जाता है। आपको पता ही होगा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जो पूरे देश में फैला हुआ है।

रेलवे भारत का एक अभिन्न अंग है जो हमारे दैनिक सफर में बहुत उपयोगी होता है। परंतु आज के रेलवे नेटवर्क और पुराने रेलवे में बहुत फर्क आ गया है। पहले के समय में ट्रेन इतनी ज्यादा सक्षम नहीं होती थी परंतु आज के समय में आपको चुटकियों में कहीं भी पहुंचा सकती है।

हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा आपने बुलेट ट्रेन (Train) का नाम जरूर सुना होगा जो भारत में आने वाली है जिसकी बनने की शुरुआत भी भारत में हो चुकी है।

ट्रेन(Train) का आविष्कार कब हुआ और किसने किया?

आपने किताबों में या पढ़ाई के वक्त सुना होगा कि भारत में पहली रेल मुंबई और थाना के बीच चली थी परंतु क्या आपको पता है कि इससे कहीं वर्ष पहले रेलवे का आविष्कार या ट्रेन का आविष्कार अन्य देशों में हो गया था।

Train Ka Avishkar Kisne Kiya

यूनाइटेड किंगडम(United Kingdom) में रहने वाले पेशावर एक इंजीनियर जिनका का नाम रिकर्ड ट्रेविथिक(richard trevithick) था उन्होंने 21 फरवरी 1804 में पहला पा भाप से चलने वाला इंजन बनाया था। और उसका प्रयोग किया था परंतु कई कारण वर्ष वह सफल नहीं हो पाया था। पर उनके इस प्रयोग के कारण अन्य इंजीनियरों को उसकी प्रेरणा मिली और कहीं इंजीनियरों ने इन पर काम करना शुरू कर दिया।

Train Ka Avishkar Kisne Kiya tha name

उसके बाद इंग्लैंड के पेशावर इंजीनियर ने इसका प्रयोग किया और विश्व की सफल ट्रेन का आविष्कार किया यह आविष्कार 27 सितंबर 1825 को George Stephenson के द्वारा किया गया था इस ट्रेन की गति 24 घंटा प्रति किलोमीटर थी और पहली बार 450 व्यक्तियों के साथ इंग्लैंड में Stockton and Darlington तक इसका सफल परीक्षण किया गया। उसके बाद इनको रेलवे का पिता या (father of railway) भी कहा जाने लगा।

Rail ka Avishkar
Stockton and Darlington

इस तरह सबसे पहली रेल का आविष्कार सफल हुआ और धीरे-धीरे इसकी प्रवृत्ति बढ़ती रही और आज के समय में 500 किलोमीटर प्रति घंटा चलने वाली बुलेट ट्रेन भी विश्व में देशों में आ चुकी है।

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ट्रेन का इतिहास:

21 फरवरी 1804 से लेकर आज के 2021 में ट्रेन के इतिहास में बहुत सारा अंतर आ चुका है 24 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर आज की ट्रेन 300-500 किलोमीटर प्रति घंटा चलने लगी है और उसका नेटवर्क भी पूरे विश्व में फैल चुका है।

1837 पहले सारी ट्रेनें भाप से चलती थी जिसमें कोयले का उपयोग किया जाता था परंतु स्विजरलैंड में 1912 में डीजल से चलने वाला इंजन बनाया और विश्व को बहुत ही उपयोगी साबित हुआ।

उसके बाद 1837 में बिजली और बैटरी से चलने वाली ट्रेनें भी आ गई और उसका सफल परीक्षण Robert Davidson के द्वारा किया गया।

इस तरह समय के अनुसार ट्रेनों में बहुत सारे बदलाव होते रहे और शुरू से लेकर आज तक के समय में जमीन आसमान का आपको फर्क देखने को मिलेगा। आज की ट्रेन है इतनी सुविधाजनक बन गई है कि आपको पता ही नहीं चलेगा कि आप ट्रेन में बैठे हैं या अपने घर पर बैठे हैं।

यह सारा श्रेय उन महान इंजीनियरों को जाता है जिन्होंने हमें इतना बड़ा तोहफा दिया जो हमें आज के समय में हमारे दैनिक व्यवहार में बहुत उपयोगी होता है और हमारी जिंदगी को आसान बनाने में मदद करता है।

भारत में ट्रेन का इतिहास:

आप आप सभी लोगों को पता है कि भारत में बहुत सारे लोगों ने भारत पर राज किया है। और अंत में हमारे पर अंग्रेज राज कर रहे थे और ट्रेन का आविष्कार इंग्लैंड में होने के कारण उन्होंने रेल का आयोजन भी भारत में किया। परंतु हमें अंग्रेजों से 1947 में आजादी मिली और उनको हमारा देश छोड़कर जाना पड़ा और उनका जो रेल नेटवर्क था वह भी हमारे भारत में सौगात के रूप में मिला जो आज भी भारत सरकार उसका इस्तेमाल करती है।

Mumbai to thane pehli train
मुंबई से ठाणे पहली रेल

21 मील लंबी रेलवे लाइन का उद्घाटन शनिवार 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे पहली रेल चलाई गई थी जिसे 21 तोपों की सलामी दी गई थी। जब भारत की पहली रेल चलाई गई थी तब उसमें 400 लोग सफर कर रहे थे। जिसे बोरीबंदर से 3.30 बजे दो इंजन द्वारा खींचा गया।

1853 में मुंबई से ठाणे तक का किराया ₹2 रुपए था। और उसमें बहुत सारी श्रेणियां बनाई गई थी जिसका किराया अलग अलग था जो ₹2 से लेकर 3 पैसे तक का था।

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रेलवे के फायदे:

रेलवे आज के समय में हमारे दैनिक व्यवहार में बहुत उपयोगी साधन बन गया है अंग्रेजो के द्वारा छोड़ा गया है रेलवे नेटवर्क हमारे जीवन में आज बहुत उपयोगी साबित हो रहा है।

रेलवे के कारण हमारे पर्यटन स्थलों को बहुत आसानी से और आरामदायक तरीके से सफर किया जा सकता है।

ट्रेन की लागत अन्य साधनों से बहुत कम होती है जिसको गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत फायदा मिलता है घूमने फिरने में।

ट्रेन हमारे आर्थिक व्यवस्था पर सीधी असर करता है बड़ी-बड़ी वस्तुएं आदान प्रदान करने में ट्रेन बहुत बड़ी सहायक करता है।

हर दिन ट्रेन में करोड़ों लोगों सफर करते हैं और उसकी वजह से ट्रेन से आवक भी बहुत ज्यादा होती है।

हमारा ट्रेन नेटवर्क पूरे देश में फैले होने के कारण उसमें करोड़ों लोग नौकरी भी करते हैं जिससे उनकी जीवन चल पाता है।

निष्कर्ष:

इस तरह रहने हमारे जीवन में बहुत उपयोगी बन गया है अगर आपको यह लेख पसंद आया है अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले मुझे उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि Train Ka Avishkar Kisne Kiya और कब हुआ हमने बहुत आसानी से आप को समझाने की कोशिश की है परंतु फिर भी आपके मन में कोई सवाल है जिसका जवाब आप ढूंढ रहे हैं तो नीचे कमेंट करना ना भूले इसको हम जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे धन्यवाद।

Jigar Prajapati
Jigar Prajapati

मेरा नाम जिगर प्रजापति है और मुझे लिखने में बहुत बहुत शौक है। मैं एक ब्लॉगर हूं जो आपकी समस्या सुलझाने में सहायता करता हूं।

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